प्रशंसा को वीरता के कार्यों, की सुगंध ही समझिए | Socrates
दोषहीन कार्यों का , होना दुर्लभ होता है। Chanakya
कुछ भी इतना कठिन नहीं है , यदि आप उसे छोटे-छोटे कार्यों में विभाजित कर लें | Henry Ford